मंगलवार, 17 नवंबर 2015

149. आल्पना- 3


       इस ब्लॉग में आल्पना पर पहले से मेरे दो आलेख हैं (क्रमांक- 89 और 91)। उनमें जिक्र है कि मेरी मँझली और छोटी फुआ (बुआ) इस कला में सिद्धहस्त हैं; दूसरी पीढ़ी में मेरी दोनों दीदी इस कला में पारंगत है और तीसरी पीढ़ी में छोटी दीदी की बेटी को तो इस कला में महारत हासिल है। इस बार यह भी बता दूँ कि मेरी भतीजी अभी यह कला सीख रही है- वह भी अच्छा आल्पना बनाती है।
       खैर।

मेरी मँझली फुआ घर आयी हुई है। घर में "छठ" उत्सव की तैयारियाँ चल रही हैं। फुआ ने इस अवसर पर जो आल्पना बनायी हैं, उनके चित्र यहाँ प्रस्तुत है- 




यह डिजाइन मुझे खास तौर पर पसन्द है- बचपन से ही.
जहाँ कहीं भी बेलबूटे की जरुरत पड़ती है- मैं यही डिजाइन बनाने की कोशिश करता हूँ.

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