शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

तुलसी का काढ़ा




मौसम बदलते समय बहुतों को सर्दी-जुकाम होता है- मुझे तो होता ही है!
चार-पाँच रोज पहले मुझे सर्दी-जुकाम हुआ- नाक से पानी बह रहा था। मैंने दफ्तर से ही अंशु को फोन किया- कि वह शाम ढलने से पहले तुलसी के कुछ पत्ते तोड़कर रख ले- रात मुझे उसका काढ़ा पीना पड़ेगा।
      रात मैंने गर्म काढ़ा पीया- तुसली का- सुबह सर्दी-जुकाम गायब था!
      अगर मैं कोई इलाज न करता, तो बेशक, 4-5 दिन मैं सर्दी-जुकाम से पीड़ित रहता; अगर मैं होम्योपैथ दवा लेता, तो 2-3 दिन मुझे कष्ट रहता; और अगर मैं ऐलोपैथ दवा लेता, तो बेशक, पहले दिन ही आराम हो जाता, मगर दो-तीन दिनों बाद पता चलता कि सारी सर्दी सीने में जकड़ गयी है और कई दिनों तक ‘कफ’ के रुप में वह बाहर आती रहती।
तुलसी का काढ़ा पीने से ऐसा कुछ नहीं हुआ। हाँ, अगले रोज भी सुबह व शाम मैंने फिर से काढ़ा पीया था- ठीक होने के बावजूद।
बहुत से लोग इस नुस्खे को आजमाते होंगे- काढ़ा भी अलग-अलग तरीके से तैयार करते होंगे। कुछ लोगों ने इसे कभी नहीं आजमाया होगा और उन्हें लगता होगा कि काढ़ा बनाना मुश्किल है।
तो इसलिए मैं अंशु से पता करके इसका नुस्खा यहाँ लिख रहा हूँ:-
सामग्री:  
तुलसी के पत्ते- 8-10
काली मिर्च (गोलमिर्च) के दाने- 4-5
दालचीनी- थोड़ी-सी
अदरख- थोड़ा-सा
गुड़- थोड़ा-सा
विधि:
एक गिलास पानी में उपर्युक्त सभी चीजों को मिलाकर इसे तब तक धीमी आँच पर पकाया जाय, जब तक कि पानी आधा गिलास न रह जाय।
बस और क्या, जैसे चाय पीते हैं, वैसे गर्मा-गर्म या गुनगुना करके इसे पी लिया जाय!    

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