बीते जुलाई के पहले हफ्ते में जब मेरा देवघर जाना हुआ था, तब
मेरी नजर घण्टाघर पर टँगे उस साइनबोर्ड पर पड़ी थी, जिस पर लिखा था- "भारतीय
स्टेट बैंक देवघर परिवार आपका स्वागत करती है।"
मैं उन्हीं दिनों सोमी ("सोमी"-
सोशल मीडिया) पर लिखना चाहता था कि देश की नामी-गिरामी संस्थायें जब
स्त्रीलिंग-पुल्लिंग की ऐसी गलतियाँ करती हैं- वह भी सरे-आम- तो बड़ा खटकता है। मगर
मैंने इसका उल्लेख नहीं किया।
संयोग से, पिछले दिनों फिर देवघर जाना हुआ।
स्वाभाविक रुप से मेरी नजर उसी बोर्ड पर गयी- मुझे सुखद आश्चर्य हुआ-
"करती" शब्द की दीर्घ ई की मात्रा के ऊपरी हिस्से पर कागज चिपका कर (या
फिर, पेण्ट करके) उसे "करता" बना दिया गया था। मैंने मन-ही-मन भारतीय
स्टेट बैंक के देवघर परिवार को धन्यवाद दिया- उनकी संवेदनशीलता के लिए। हो सकता
है- पिछले दिनों "हिन्दी दिवस" मनाने के क्रम में उनका ध्यान इस तरफ गया
हो!
अभी बात खत्म नहीं हुई है- एक और काम बाकी
है। यह तो थी "घण्टाघर" की बात। बाकी जो मुख्य चौराहे हैं देवघर के,
उनपर भी साइनबोर्ड टँगे हैं, जिनपर लिखा है- "भारतीय स्टेट बैंक देवघर शाखा आपका स्वागत करता है।"
यानि अबकी बार नीले पेण्ट की एक छोटी-सी
डिबिया और ब्रश एक पेण्टर के हाथ में थमाकर उसे लेकर देवघर के सारे मुख्य चौराहों
पर घूमना होगा और "करता" को "करती" बनाना होगा....
देखा जाय,
स्टेट बैंक, देवघर शाखा का ध्यान कब तक इस तरफ जाता है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें