जगप्रभा

जगप्रभा
मेरे द्वारा अनूदित/स्वरचित पुस्तकों की मेरी वेबसाइट

रविवार, 28 जुलाई 2013

61. "सिगरेट" बनाम "धूम्रवर्तिका"



       सबसे पहले एक फेसबुक पेज 'मुझे चाहिए पूर्ण स्वराज' से "सिगरेट" पर एक सामग्री उद्धृत करता हूँ:  
हमारे देश में विदेशी कंपनी ITC प्रतिवर्ष लगभग 1800 करोड़ रुपये का सिगरेट का कारोबार करती है। हमारे देश में प्रतिवर्ष 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सिगरेट पी जाती है। मुनाफे की दरअगर 20% भी मानी जाए तो ITC तकरीबन 360 करोड़ रुपया प्रतिवर्ष ... मुनाफा कमा ले जाती है।
500 सिगरेट बनाने में जितना कागज लगता है वो एक पेड़ काटने पर मिलता है, इस प्रकार ITC कंपनी सिगरेट बनाने के लिए हर साल भारत में '14 करोड़' पेड़ काटती है लेकिन अगर कोई गरीब घर का चूल्हा जलाने के लिए पेड़ काटे तो उसे वन विभाग सजा दे देता है। ऐसे हैं भारत में चल रहे अँग्रेजी कानून स्वास्थ्य भी खराब, पर्यावरण भी खराब और देश का पैसा भी विदेश में जाता हैं। ये सिगरेट कंपनियां इतनी पैसे वाली हैं की सरकारों को भी खरीद लेती हैं...... इसी कारण भारत में गुटखा बंद हो जाता है लेकिन गुटखे से ज्यादा तम्बाकू वाला उत्पाद सिगरेट बिकती रहती हैं।
***
इसके बाद अपने एक ब्लॉग 'मेरी चयनिका' से एक सामग्री:
प्राचीन भारत में धूम्रपान
------------------------
प्राचीनकाल में प्रियंगु, बड़ी इलायची, नागकेसर. चन्दन, सुगन्धबाला, तेजपत्र, जटामांसी, गुग्गुल, अगरू, पीपल की छाल इत्यादि से धूमवर्तिका बनायी जाती थी और इससे धूमपान किया जाता था।
      इससे सिरदर्द, श्वास-कास के रोग, दंतशूल, दाँतों की दुर्बलता, बालों का गिरना, तन्द्रा, अतिनिद्रा, वातकफज रोग मिट जाते हैं।
      धूमपान के लिए दिनभर में आठ समय बताये गये हैं, जिन्हें नियमित रूप से करने के बाद कोई रोग नहीं सताता।
      आज का धूमपान तो उसका अतिविकृत स्वरूप है।
     'अखण्ड ज्योतिअक्तूबर'2006 अंक से साभार  (लेखमाला: आयुर्वेद- 41कैसी हो हमारी दिनचर्या- 1)  
       ***
       तीसरे स्थान पर मैं अपने "घोषणापत्र" से एक विन्दु उद्धृत करता हूँ, जो 'चयनिका' वाली सामग्री पर ही आधारित है:
       22.6      तम्बाकू के स्थान पर प्रियंगु, बड़ी इलायची, नागकेसर, चन्दन, सुगन्धबाला, तेजपत्र, जटामांसी, गुग्गुल, अगरू, पीपल की छाल इत्यादि लाभदायक जड़ी-बूटियों तथा कागज के स्थान पर किसी पत्ते का इस्तेमाल करते हुए'धूम्र-वर्तिका' (जैसा कि प्राचीन काल में बनता था) बनाने का आदेश सिगरेट कम्पनियों को दिया जायेगा और इस आदेश के 100 दिनों बाद तम्बाकू तथा कागज से बनने वाली सिगरेट का भारत में उत्पादन एवं आयात बन्द कर दिया जायेगा (बीड़ी के सम्बन्ध में भी ऐसी ही व्यवस्था की जायेगी।)
***
अब अन्त में मैं एक छायाचित्र जोड़ता हूँ, जो "निर्दोष" नामक एक सिगरेट (आप फिल्टर वाली बीड़ी भी कह सकते हैं इसे) का है। इसके 10 पैकेट मैंने 550/- रुपये में डाक द्वारा मँगवाये।

इसके सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी यहाँ मिल जायेगी:
***** 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें