जगप्रभा

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सोमवार, 29 जुलाई 2019

216. मोती झरना में कुछ नया


राजमहल की पहाड़ियों में जंगली जानवर तो कुछ बचे नहीं हैं- ले-देकर कुछ हाथी कभी-कभार नजर आ जाते हैं। (महाराजपुर के निकटवर्ती) तालझारी इलाके में पत्थर-खनन अपेक्षाकृत कम है, इसलिए यहाँ जंगल बचे हुए हैं और यहीं कभी-कभार हाथी दिखते हैं। जिक्र इसलिए कि इस बार मोती झरना के आस-पास के जंगलों में कुछ जंगली जानवरों की मूर्तियाँ खड़ी की गयी हैं। एक तेन्दुआ (चट्टान पर बैठा हुआ), एक बाघ (झरने के बगल में), दो हिरण (पार्क के पास) और एक मगरमच्छ (बहते पानी के किनारे) हमें नजर आये। जो प्रवेशद्वार बना है, उसपर भी दो हाथी, एक मोर और एक अजगर को बनाया गया है। इसके अलावे एक वनमानुष का बड़ा चेहरा और बहुत-से जानवरों के चेहरे विभिन्न स्थानों पर उकेरे गये हैं। झरने का पानी पार करने का जो पुल है, वह है तो कंक्रीट का, पर उसे लकड़ी के तख्तों, लट्ठों और बाँस के टुकड़ों का रंग-रुप दिया गया है। यह एक नयापन है। जो कई वर्षों से यहाँ नहीं आये हैं, वे आ सकते हैं।

कलाकारों की जिस टीम ने इन्हें बनाया है, वह बधाई की पात्र हैं। साथ ही, जिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस सौन्दर्यीकरण में रुचि ली है, वे भी बधाई के पात्र हैं।

संलग्न चित्र में चट्टान पर बैठे तेन्दुए या चीते की मूर्ति है।

कल की मोती झरना यात्रा के छायाचित्रों और विडियो का अल्बम हमने फेसबुक पर अपलोड किया है, देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें।