जगप्रभा

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गुरुवार, 29 जनवरी 2015

125. हिन्दी हमारी- 4



       अपने ब्लॉग के शुरुआती दिनों में मैंने "हिन्दी हमारी" शीर्षक से तीन पोस्ट लिखे थे (पोस्ट क्रमांक 8, 9 और 10)
       आज उसी में एक और कड़ी जोड़ने जा रहा हूँ। 'प्रभात खबर' के साप्ताहिक परिशिष्ट "अवसर" में आज "सुधारें हिन्दी" स्तम्भ के अन्तर्गत रवीन्द्र कुमार जी ने इसे लिखा है।
       दो उपसर्ग हैं- "अन्तर्" और "अन्तर"। अब तक मैं जानता ही नहीं था कि दोनों अलग-अलग अर्थ देते हैं! अन्तर् उपसर्ग का समानार्थी है "Intra" (इण्ट्रा), जबकि अन्तर का समानार्थी है- "Inter" (इण्टर)।  
       जब हम "अन्तर्राष्ट्रीय" लिखते हैं, तो इसका मतलब होता है- Intra-national, यानि अन्तर्देशीय, यानि देश के अन्दर! मुझे लगता है, ज्यादातर हिन्दीभाषी यह नहीं जानते हैं और इस शब्द का प्रयोग Inter-national के रुप में करते हैं
       ...जबकि International के लिए हमें लिखना है- "अन्तरराष्ट्रीय", यानि देश के बाहर
       इस प्रकार, दो अलग-अलग शब्द हैं: "अन्तर्राष्ट्रीय" और "अन्तरराष्ट्रीय"। पहले शब्द के बदले में हम चूँकि "अन्तर्देशीय" शब्द का प्रयोग कर लेते हैं, इसलिए कोई बात नहीं, मगर देश के बाहर के मामलों के लिए हमें "अन्तरराष्ट्रीय" शब्द का प्रयोग करना चाहिए, न कि "अन्तर्राष्ट्रीय" शब्द का।
       आज तक मैं भी यही गलती करता आ रहा था।

       रवीन्द्र कुमार जी तथा "प्रभात खबर" के प्रति मैं अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।

सोमवार, 26 जनवरी 2015

124. अरे, हम तो अब भी स्मार्ट हैं(!?)


      अपनी ज्यादातर तस्वीरों में मैं बेवकूफ नजर आता हूँ, मगर फिर भी, कभी-कभी किसी तस्वीर में मैं स्मार्ट नजर आने लगता हूँ। अब इसमें कसूर पृष्ठभूमि का होता है, या पहनावे का, या फिर, छायाकार की उँगलियों का, यह नहीं पता।

       ताजमहल की पृष्ठभूमि वाली तस्वीर 1994 के आसपास की है। इसे बिनय ने खींची थी। बिनय बचपन का दोस्त है- उसे फोटोग्राफी का शौक बिलकुल नहीं है- फिर भी, उसने ऐसी शानदार और यादगार तस्वीर खींची! जाहिर है कि उन दिनों हम वाकई युवा हुआ करते थे। भारी-भरकम एक रूसी कैमरे की तस्वीर है, जिसका नाम अभी याद नहीं- कभी बक्सा खोलकर कैमरे का नाम देख लेंगे!

     बदरीनाथ की पृष्ठभूमि वाली तस्वीर प्रायः अट्ठारह साल बाद- 2012 की है। छायाकार मेरा बेटा ही है। इसी का 'क्रॉप' किया हुआ फोटो अब तक फेसबुक का प्रोफाइल फोटो बना हुआ है। यह तस्वीर 'नोकिया-5310' मॉडल की है। अब यह मोबाइल पुराना हो गया है और साफ तस्वीरें नहीं खींच पाता, मगर उन दिनों 300 रिजॉल्यूशन की बहुत ही सुन्दर तस्वीरें यह खींचता था।  


      और अब आज- 26 जनवरी 2015 की तस्वीर पेशे-खिदमत है- सरसों के खेतों के बीच की, जिसके छायाकार हैं, मित्र जयचाँद। इसी तस्वीर को देखकर मुझे अहसास हुआ कि अरे, हम तो अब भी स्मार्ट नजर आते हैं- कभी-कभार ही सही। हो सकता है, भारतीय वायु सेना वाले काले चश्मे के कारण शायद ऐसा लग रहा हो, या फिर, मुझे ही गलतफहमी हो रही हो... क्योंकि श्रीमतीजी और बेटे (18वें वर्ष में है वह) को जब यह तस्वीर दिखाकर अपने (अब भी) स्मार्ट लगने वाली बात उन्हें बतायी, तो दोनों खूब हँसे! यह तस्वीर 'HCL-ME' टैबलेट की है। यह 72 रिजॉल्यूशन की बड़ी तस्वीरें खींचता है। कभी-कभी इसकी तस्वीरों में "बारीकियाँ" नहीं उभरती- कोई कारण होगा। खैर, अब चाहे जो हो, हम तो इसी फोटो को 'क्रॉप' करके फेसबुक का प्रोफाइल फोटो बनाने जा रहे हैं,,,
...कई दिनों से इस बारे में सोच ही रहे थे हम, क्योंकि अब 2015 से फेसबुक पर राजनीतिक टीका-टिप्पणियाँ करनी नहीं हैं, तो उसी हिसाब से इसका प्रोफाइल फोटो भी बदलना चाहिए...