जगप्रभा

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मंगलवार, 16 जुलाई 2013

58. "हरियाली और घर"



       बीते रविवार को जयचाँद घर आया था। उसने शायद घर के आस-पास फैली हरियाली पर "कलाकार वाली" एक नजर डाली होगी। रात जब मैं उससे मिला और बातों-ही-बातों में जिक्र किया कि अगले रविवार से अभिमन्यु आपके ड्रॉइंग क्लास में जायेगा, तब उसने हँसकर कहा- आपके घर के आस-पास जैसी हरियाली फैली है कि वहाँ रहकर कोई भी अपने-आप चित्रकार बन जायेगा... ।
       आगे उसने कहा- अगर उस हरियाली की चित्रकारी की जाय, तो मेरे-जैसे चित्रकार को भी पन्द्रह दिन लग जायेंगे- पूरा करने में!
      
       यह सुनकर मुझे लगा कि मुझे इस "हरियाली" को साझा करना चाहिए। मैंने अपना यह बसेरा अपने पैतृक घर के पिछवाड़े में ही बनवाया है।
       देखा जाय घर के आस-पास फैली हरियाली को-





















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