आज सुबह छोटी घरकुण्डा सजाने में व्यस्त
थी। "घरौंदा" शब्द को
बिगाड़कर यहाँ "घरकुण्डा" कहा जाता है। सोचा, जरा देख आया जाय, कैसा
घरौंदा बना है। छत पर जाकर देखा- एक बड़ा-सा कमरा बना दिया गया है, जिसमें तीन-चार
बच्चे आराम से बैठ सकते हैं! पूछा, घरौंदा तो छोटा होता है, इतना बड़ा किसने बनाया?
छोटी ने बताया- भैया लोगों ने बना दिया। यानि अभिमन्यु, शिवम और (पड़ोस के) निकेश
ने मिलकर।
नीचे आकर अभिमन्यु से पूछा, इतना बड़ा
घरौंदा क्यों? उसका जवाब था- मुझे क्या पता, घरौंदा क्यों बनता है? मैंने सोचा,
पटाखा फोड़ने के लिए बनता है, इसलिए बड़ा-सा बना दिया- ताकि पटाखा फोड़ने में आसानी
हो।
उसे बताया कि लड़कियाँ छोटा-सा घरौंदा बनाकर
उसे खील-खिलौनों से भरती हैं, ताकि उसे जो ससुराल मिले, वह भी धन-धान्य से
भरा-पूरा रहे।
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