रविवार, 3 नवंबर 2013

89. आल्पना


आल्पना (खल्ली मिट्टी या पीसे हुए चावल को पानी में मिलाकर रूई के फाहे से) बनाने में मेरी दो बुआ (मंझली और छोटी) सिद्धहस्त हैं. मेरी दोनों दीदी भी इस कला में पारंगत हैं. तीसरी पीढ़ी में मेरी छोटी दीदी की बेटी बहुत सुन्दर आल्पना बनाती हैं. 
बरहरवा में करीब-करीब हर घर की लड़कियाँ अच्छा आल्पना बनाती हैं. 
इन्हें किसी तरह के 'ड्राफ्ट' या आरेख की जरुरत नहीं पड़ती. 



यह कला मेरे बस की नहीं है; फिर भी, चॉक से एक आरेख बना दिया है... 
अब देखना है कि श्रीमतीजी इसे कितने सुन्दर आल्पना का रुप दे सकती है...
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तो कुछ ऐसी बनी अल्पना. 

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आज (दीवाली) की रात अगर लक्ष्मीजी हमारे घर आयीं, तो बेशक उन्हें "कितकित" खेलते हुए घर में प्रवेश करना होगा... 

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