करीब दो महीने पहले मेरा चचेरा भाई उमा शंकर दास (Uma Das) हमारे घर आया हुआ था।
मेरे सिर पर बाल कुछ ज्यादा घने हैं। आम तौर पर 55 की उम्र के बाद ऐसे घने बाल सबके सिर पर नहीं रहते। तो भाभीजी ने मजाक में कहा - मोनू दा के सिर पर तो बहुत बाल हैं, थोड़ा सा आप ले क्यों नहीं लेते?
आज हम अपने सिर के सारे बाल उसी भाई को अर्पित कर आए। दस दिनों पहले उसका दुखद देहान्त हो गया था। फेफड़े में किसी तरह का बैक्ट्रियल इन्फेक्शन हो गया था, जिस पर किसी एंटीबायोटिक ने काम नहीं किया।
मेरा वह भाई मेरा दोस्त था, मेरा हमउम्र। उसका पुकार नाम बबलू था। असल में हम तीन कजन की तिकड़ी थी। तीसरा मेरा फुफेरा भाई है संजय राउत, पुकार नाम बापी, अभी हजारीबाग में है।
बबलू (डॉ. यू.एस. दास) पेशे से तो फिजियोथेरेपिस्ट था, लेकिन वह ऐलोपैथ, होम्योपैथ, आयुर्वेद, एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर, प्राकृतिक चिकित्सा, योग-चिकित्सा का भी ज्ञान रखता था। ऊँचा कद, गोरा रंग, मृदुभाषी एवं मितभाषी और सदा मुस्कुराने वाला। उसका साथ हमें बहुत पसन्द था। उसके मुकाबले बापी बहुत ही अलमस्त स्वभाव का है— बात-बात पर ठहाके लगाने वाला।
बबलू मेरा चचेरा भाई इस रिश्ते से था कि उसके दादाजी और मेरे दादाजी सगे भाई थे। हमारे पैतृक गाँव चौलिया से निकलकर जहाँ मेरे दादाजी बरहरवा में बसे, वहीं उसके दादाजी बरहरवा से 15 किमी दूर कोटालपोखर में बसे थे।चौलिया गाँव की स्थिति इन दोनों कस्बों के ठीक बीच में है।
ऊपर की तस्वीर में दिवंगत बबलू— सम्भवतः मई’2023 की तस्वीर है, उसी की फेसबुक वाल से ले रहे हैं।
नीचे की तस्वीर में बबलू का बेटा है, नाम उत्कर्ष, आज की तस्वीर।
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ओह! विनम्र श्रद्धांजलि।
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