एक लम्बे अन्तराल के बाद आज अपने गाँव चौलिया जाना हुआ। जाकर देखा कि चाचीजी घर में किसी पूजा की तैयारी कर रही है। पूछने पर पता चला आज संक्रान्ति है।
बाद में जानकारी हासिल की कि सूरज आज वृश्चिक से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के दक्षिणायण की यह अन्तिम संक्रान्ति है, अगली संक्रान्ति (मकर संक्रान्ति) से सूर्य का उत्तरायण शुरू हो जायेगा। सौर कैलेंडर (बंगाब्द और शकाब्द) के हिसाब से आज अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास समाप्त हो रहा है और कल से पौष मास शुरू होगा।
गांव में आज जो पूजा होती है, जिसे “इतु लक्ष्मी पूजा” कहते हैं।
इस पूजा में जो कथा सुनाई जाती है, उसमें यह संदेश होता है कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं। पूजा में बेटियों के नाम से कलश बैठाए जाते हैं।
मन तो है कि उस कथा (दो बहनों की कहानी) को यहाँ लिखा जाय, लेकिन संक्षेप में लिखने के बावजूद वह कहानी लम्बी हो जायेगी।
विडियो में आप देख सकते हैं कि जो नए धान कटकर खेत से आए हैं, उसकी एक "अंटिया" को बाकायदे देवता या देवी के रूप में स्थापित किया गया है।
यानि यह एक पूजा नई उपज को तथा बेटियों को - दोनों को सम्मान देने के लिए है।
***