जगप्रभा

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सोमवार, 22 जून 2020

235. नौपाड़ा झील




       जयचाँद अक्सर एक झील का जिक्र करता था। नौपाड़ा गाँव में उसकी दीदी का घर है, वहीं है यह झील। हम समझते थे कि वह बंगाल के किसी गाँव की बात करता है। बाद में पता चला कि वह गाँव हमारे कस्बे के आस-पास का ही है- 15 किलोमीटर दूर।
       कई दिनों से बात हो रही थी कि वहाँ चला जाय। कल जाना हो ही गया- ऐन सूर्य-ग्रहण के दिन।
       जब हमलोग केलाबाड़ी और आतापुर होते हुए नौपाड़ा गाँव की ओर चले, तब आकाश में बादल होते हुए भी चटक धूप थी और गर्मी भी थी, लेकिन जैसे ही हम गाँव के सीमाने पर पहुँचे, आकाश के एक कोने में वर्षा वाले काले बादल नजर आने लगे। जयचाँद की दीदी के घर तक पहुँचते-पहुँचते वर्षा शुरू हो गयी। घण्टे भर पानी बरसा। वर्षा थमने पर हम झील की तरफ गये, तब बदली छायी हुई थी।
       घण्टे भर झील में नौका-विहार करके जब हम वापस दीदी के घर पहुँचे, तब चटक धूप निकली। 
       वापसी में जब हम अपने बरहरवा की सीमा पर पहुँचे, तब फिर फुहार पड़ने लगी।
       उसी नौका-विहार की कुछ तस्वीरें और चलचित्र प्रस्तुत है-  
रास्ते में एक तालाब पड़ा, जो कमल के फूलों से भरा हुआ था।

गाँव का एक सामान्य दृश्य।

क्षितिज पर राजमहल की पहाड़ियाँ।

गाँवों में ऐसे कच्चे मकान अब कम ही रह गये हैं- यह भी जर्जर हो रहा है।

गाँव की ओर... ।

इमली की घनी छाँव।

झील पर नौका-विहार के लिए नाव निकालते हुए।

झील के बीच।

झील के बीच।

झील में खिले कमल के फूल।

नाव खेते हुए- 'शुभो'।

विडियो 1: झील में प्रवेश करते हुए

विडियो 2: झील के बीच

विडियो 3: झील के बीच

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