जगप्रभा

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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

228. बन्दना पर्व



       परसों शाम जब हम 'बिन्दुवासिनी पहाड़' की ओर टहलने गये थे, तब देखे थे कि 'झिकटिया चौक' के बाद से सड़क चमकीले रंगीन कागजों से सजी हुई थी। साथ ही, आस-पास की आदिवासी बस्तियों से मादुल (मृदंग) की आवाजें भी आ रही थीं।
       आज संयोग से कुछ पहले ही हम टहलने निकल गये थे और जेब में फोन भी था। झिकटिया चौक के बाद ही आदिवासियों का एक छोटा-सा दल मृदंग की थाप पर थिरकता हुआ दिखा। पूछ कर हमने 2 विडियो बना लिये। पता चला, 'बन्दना' पर्व चल रहा है, जो हफ्ते भर का त्यौहार होता है। अभी तीन दिन और चलेगा। सड़क पर सजावट इसी के लिए की गयी थी। सम्भवतः पालतू पशुओं से जुड़ा त्यौहार है यह।
आगे बढ़े। जहाँ बिन्दुवासिनी पहाड़ की ओर मुड़ना था, वहाँ दूर की बस्ती से फिर थापों की आवाज सुनायी पड़ी। इधर की आवाजें ही कल सुनायी पड़ रही थी। हम बिन्दुवासिनी की ओर न मुड़कर आदिवासी बस्ती की ओर बढ़ गये। वहाँ पहले वाले से बड़ा एक दल थिरक रहा था। यहाँ हमने तीन विडियो बनाये- बेशक, अनुमति लेकर ही।
अब हम पीछे न लौट कर आगे बढ़े और नहर के किनारे से बिन्दुवासिनी की ओर बढ़े। यहाँ रेल-लाईन के पास पहुँचते ही बरमसिया बस्ती से फिर मृदंग के थापों की आवाजें सुनायी पड़ने लगी। क्या मन में आया, हम बस्ती में चले गये। यहाँ और भी बड़ा एक दल थिरक रहा था। यहाँ वाद्य में हारमोनियम भी शामिल था। एक बार जब हारमोनियम की लय बिगड़ी, तो नृत्य कर रही युवतियों/महिलाओं ने गाना शुरु कर दिया। यहाँ हमने चार विडियो बना लिये।
कुल 9 विडियो यु-ट्युब पर हैं, लिंक निम्न प्रकार से है:
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3 विडियो हमने ऐसे ही बना लिये थे। एक में राजमहल की पहाड़ी की शृंखला दिख रही है, जिसकी तलहटी में हमारा कस्बा बसा है; दूसरे में बरमसिया गाँव का एक तालाब है, जिसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने शान्त परिवेश में आदिवासी समाज रहना पसन्द करता है, और तीसरे विडियो को हमने रेल-लाईन पर खड़े होकर बनाया है। एक तरफ देखा, तो प्रकृति के रुप में पहाड़ी की चोटी थी; तो दूसरी तरफ विध्वंस के रुप में एक ट्रक। यह जो रेल-लाईन है, यह 1850-60 की बनी हुई है, जब भारत में रेल बिछनी शुरु ही हुई थी और कोलकाता (अँग्रेजों की तत्कालीन राजधानी) को राजमहल (बँगाल-बिहार-उड़ीसा प्रान्तों की मुगलकालीन राजधानी) से जोड़ने के रेल लाईन बिछ रही थी। लम्बी होने के कारण यह देश की "दूसरी" लाईन बनी, जबकि बम्बई-थाने वाली लाईन छोटी होने के कारण जल्दी बनकर "पहली" रेल-लाईन बन गयी। खैर, ठीक से खोज हो, तो पता चलेगा कि राजमहल की पहाड़ियों के अन्दरुनी हिस्से तक बिछायी गयीं ये रेल-लाईनें ही देश की पहली लाईनें साबित होंगी- क्योंकि इन पर चलने वाली मालगाड़ियों से ही वे पत्थर लाये गये, जिनसे बाकी रेल-लाईनें बिछीं! खैर, तो एक तरफ प्रकृति और दूसरी तरफ प्रकृति का दोहन करने वाले ट्रक को दिखाने वाला यह विडियो है।
तीनों विडियो के लिंक-
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1 टिप्पणी:

  1. According to Stanford Medical, It is in fact the ONLY reason women in this country live 10 years longer and weigh an average of 19 KG less than us.

    (And really, it has absolutely NOTHING to do with genetics or some secret diet and really, EVERYTHING about "how" they eat.)

    BTW, I said "HOW", not "WHAT"...

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