बहुत पहले घर में दो फोल्डिंग आरामकुर्सियाँ हुआ करती थीं, जो
समय के साथ टूट-फूट कर इधर-उधर हो गयीं।
दो-तीन साल पहले मन में आया कि वैसी ही एक
आरामकुर्सी ला दूँ पिताजी के लिए, मगर पता चला, अब ऐसी आरामकुर्सियाँ बनती नहीं
हैं। नेट पर खोजा, तो पता चला, मिल तो सकती हैं, मगर हमारे कस्बे तक डिलिवरी नहीं
हो सकती। यह कोई छोटी-मोटी चीज तो है नहीं कि पैकेट में आ जाय। तो जाहिर है,
डिलिवरी चार्ज ज्यादा होग- कीमत तो ज्यादा थी ही।
फिर आरामकुर्सी बनाने की विधि खोजा, वह भी
मिली। कई बढ़ईयों को दिखाकर कहा- यह बनवाना है, मगर जैसा कि हमारे इलाके में रिवाज
है- कोई 'ना' नहीं कहेगा, हाँ-हाँ कहता रहेगा, मगर करेगा नहीं! और एक बात है कि
"बनी-बनायी लीक से हटकर चलना" या जो काम पहले नहीं किया है, वैसे किसी
काम में हाथ डालना, यानि "एक्सपेरिमेण्ट करना" हम भारतीयों के लिए
"पाप" से कम नहीं समझा जाता! कुल-मिलाकर कोई भी बढ़ई इसे बनाने के लिए
आगे नहीं आया। समय बीतता रहा और पिताजी गुजर गये। इसी के साथ आरामकुर्सी वाली बात
भी हम भूल-भाल गये।
***
बहुत दिनों बाद अचानक एकदिन ध्यान गया- पिताजी
नहीं रहे तो क्या हुआ, माँ है, चाचीजी हैं और यहाँ तक कि अंशु की माताजी भी
फिलवक्त यहीं हैं, तो फिर इनके लिए आरामकुर्सी क्यों नहीं? फिर उस प्रिण्ट-आउट को
निकाला और फिर बढ़ई लोगों से सम्पर्क साधना शुरु किया... फिर वही जवाब कि हाँ फलाँ
दिन आकर बना देंगे और फलाँ दिन को कोई और बहाना।
अन्त में गोपाल राजी हुआ। (दो-ढाई साल से लटकाने
वालों में यह भी शामिल था।) मेरे ख्याल से, इस बार वह इसलिए राजी हुआ कि उसे
जयचाँद ने डाँट लगायी। दरअसल एकबार जब मेरा फोन उसके पास गया, तो वह जयचाँद के साथ
था। जयचाँद का सहपाठी रह चुका है वह। फोन के बारे में जयचाँद ने पूछा और पूरी बात
सुनकर उसे बहुत झाड़ पिलायी उसने कि क्यों नहीं यह काम करते हो!
खैर, जो भी हो, गोपाल राजी हुआ और
आरामकुर्सी बनाने की बतायी गयी विधि के अनुसार कल उसने एक कुर्सी तैयार की। आरा
मिल से लकड़ी लाने हमदोनों ही गये थे। उसका कहना था कि अभी एक ही कुर्सी के लिए
लकड़ी लेते हैं, बन जाय, तो फिर दो और कुर्सियों के लिए लकड़ी ले लेंगे। कल एक बनी।
अब इस पर एक मोटे कपड़े की 'स्लिंग' या झूला लगाने की जिम्मेवारी अंशु की है। वादे
के अनुसार, दो-चार दिनों बाद आकर गोपाल और भी दो कुर्सियाँ बना जायेगा।
फिलहाल, आरामकुर्सी के 'फ्रेम' की फोटो
हाजिर है। जब पूरी तरह तैयार हो जायेगी, तब एक और तस्वीर लगा दी जायेगी।
***
और
हाँ, वह लिंक, जहाँ से हमने आरामकुर्सी बनाने की विधि ली थी: http://www.ana-white.com/2011/06/wood-folding-sling-chair-deck-chair-or-beach-chair-adult-size
पुनश्च (5.9.17):
जैसा कि तय हुआ था, बीते रविवार को गोपाल ने आकर 2 और आरामकुर्सियाँ तैयार कर दी.
पुनश्च (5.9.17):
जैसा कि तय हुआ था, बीते रविवार को गोपाल ने आकर 2 और आरामकुर्सियाँ तैयार कर दी.