जगप्रभा

जगप्रभा
मेरे द्वारा अनूदित/स्वरचित पुस्तकों की मेरी वेबसाइट

मंगलवार, 4 जुलाई 2017

176. "क्रॉस डि मिस्टिक"


      बचपन में हमने हस्तरेखा पर एक पुस्तक पढ़ी थी। वह दौर ही था पुस्तक, पत्रिका, कॉमिक्स पढ़ने का; जैसे कि आज की बाल-किशोर-युवा पीढ़ी फेसबुक, व्हाट्स-अप इत्यादि पढ़ती है। वह पुस्तक चाचाजी की थी और उस पर बाकायदे गत्ते की जिल्द चढ़ी हुई थी। उन दिनों अच्छी पुस्तकों पर लोग गत्ते की जिल्द चढ़वाकर रखते थे, ताकि कई हाथों में घूमने के बाद भी पुस्तक खराब न हो।
       खैर, तो पुस्तक की जो दो-एक बातें हमें याद रह गयीं, उनमें से एक थी- "रहस्य क्रॉस" का जिक्र! बताया गया था कि किसी-किसी व्यक्ति की हथेली पर मस्तिष्क एवं हृदय रेखाओं के बीच एक छोटा-सा "क्रॉस" बना होता है। ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं। पुस्तक के अनुसार, महान हस्तरेखाविद "कीरो" ने ही इस चिह्न को "रहस्य क्रॉस" (क्रॉस डि मिस्टिक) नाम दिया था।
       जब किसी बात के साथ 'रहस्य' शब्द जुड़ जाय, तो वह बात याद रह ही जाती है। इस प्रकार, यह जानकारी मेरे मस्तिष्क में हमेशा तरोताजा रही।
       ***
       अब एक जमाने के बाद कल अचानक एक वेब-पत्रिका में इस "क्रॉस" का उल्लेख पढ़ने को मिला। वेब-पत्रिका का नाम है- Hindi Town और आलेख का शीर्षक है- 'केवल 2 प्रतिशत लोगों के हाथों में होता है ये निशान, आपके हाथ में भी है तो जानें क्या है इसका मतलब!!' (उस आलेख का लिंक यहाँ है।)
       इस आलेख में हालाँकि "रहस्य क्रॉस" शब्द का जिक्र नहीं है, मगर हथेली पर "क्रॉस" का स्थान वही बताया जा रहा है- मस्तिष्क एवं हृदय रेखाओं के बीच। बताया जा रहा है कि यह चिह्न रखने वाले लोग भाग्यशाली होते हैं। जो रोचक बात इसमें कही जा रही है, वह यह है कि प्राचीन काल में सम्राट अशोक और सिकन्दर के हाथों में यह निशान था। (इतिहास में दोनों को "महान" का दर्जा प्राप्त है।) आधुनिक काल में महात्मा गाँधी और हिटलर के हाथों में इस निशान के होने की बात कही जा रही है।
       ***
       उपर्युक्त दोनों जानकारियों के बीच हमने एक अन्तर नोट किया। पुस्तक में हथेली का जो रेखाचित्र छपा था, उसमें "क्रॉस" को स्वतंत्र दिखाया गया था- भाग्य रेखा के बगल में; जबकि वेब-पत्रिका के आलेख में हथेली का जो छायाचित्र प्रकाशित हुआ है, उसमें दिखाया गया है कि एक छोटी-सी रेखा भाग्य रेखा को काटते हुए "क्रॉस" बना रही है- हालाँकि स्थान वही है- मस्तिष्क एवं हृदय रेखाओं के बीच।
       हो सकता है, सिर्फ "क्रॉस" और उसकी स्थिति मायने रखती हो- वह "स्वतंत्र" हो या "भाग्य रेखा के साथ संयुक्त"- इससे फर्क न पड़ता हो।
       ***
       अब सच्चाई चाहे जो हो, यहाँ हम अपनी बात बताना चाहते हैं।
       हस्तरेखा को मानना या न मानना एक अलग बात है, मगर यह एक रोचक विषय है और इसके प्रति मन में उत्सुकता बनी रहती है- इस बात से शायद ही कोई इन्कार करेगा। मेरे साथ भी यही बात है। हम इस पर विश्वास करें या न करें, इसके प्रति मन में उत्सुकता जरुर है।
       खैर, तो साहिबान, दिल थाम कर बैठिये कि हम यह बताने जा रहे हैं कि मेरी दाहिनी हथेली पर उपर्युक्त दोनों ही प्रकार के "क्रॉस" मौजूद हैं। मस्तिष्क एवं हृदय रेखाओं के बीच एक तरफ एक छोटी-सी रेखा भाग्य रेखा (इसे शनि रेखा भी कहते हैं) को काटते हुए "क्रॉस" बना रही है, वहीं दूसरी तरफ, एक छोटा-सा स्वतंत्र "क्रॉस" भी बगल में मौजूद है!
       सवाल यह है कि अब इसे क्या समझा जाय? 1 + 1 = 2, या 1 – 1 = 0?
       यानि या तो हम "डबल" भाग्यशाली हैं, या फिर एक "क्रॉस" ने दूसरे के महत्व को "शून्य" कर दिया है...
       हा:-हा:=हा:-हा:...
       ***** 
मेरी दाहिनी हथेली की तस्वीर... "रहस्य क्रॉस" को दर्शाती हुई- 

1 टिप्पणी: