जगप्रभा

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बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

101. "फेलू'दा"...



       फेलू'दा सीरीज के (किशोर जासूसी) उपन्यासों के समग्र का मैंने पहले अँग्रेजी अनुवाद मँगवाया था- अभिमन्यु के लिए। वह बँगला नहीं जानता। उसने अँग्रेजी अनुवाद बड़े चाव से पढ़ा। मगर मैं सत्यजीत राय साहब की इस प्रसिद्ध रचना का स्वाद मूल बँगला में ही लेना चाहता था। तब बँगला समग्र की कीमत थी- सात सौ रुपये- फ्लिपकार्ट पर। कुछ समय बाद बढ्ते-बढ़ते यह एक हजार हो गयी। तब जाकर मैंने जल्दी से मँगवाना चाहा- पता चला, बरहरवा में इसकी डिलिवरी नहीं होगी। फ्लिपकार्ट से अन्य किताबें बरहरवा आ जाती हैं- इसके लिए मना किया गया।
       अन्ततः कोलकाता में रह रहे अपने भांजे के पते पर इसे मँगवाया। वह बीते रविवार को इसे ले आया।
       ***
       लगे हाथ, एक "टैबलेट" भी मँगवा लिया गया।
       25 जनवरी हमारी सालगिरह थी। श्रीमती जी को एक बड़े स्क्रीन वाले मोबाइल की चाह थी। उसके सस्ते विकल्प के रुप में टैबलेट मँगवाया गया। यह कोलकाता तो 25 जनवरी से पहले पहुँच गया था- मगर हमें मिला 2 फरवरी को। यह भी ठीक रहा। 1996 में 25 जनवरी के दिन बसन्त पँचमी थी। इस लिहाज से, बसन्त पंचमी हमारी सालगिरह है और टैबलेट उससे पहले मिल गया।  


3 टिप्‍पणियां:


  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन किस रूप मे याद रखा जाएगा जंतर मंतर को मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. हमारे परिवार में सभी फेलु दा के दीवाने हैं... मेरे बेटे के कलेक्शन में भी फेलु दा समग्र है! केवल किशोर ही नहीं बड़ों को भी पसन्द आती है सत्यजीत राय की यह कथाएँ!

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    1. अच्छा लगा जानकर कि आप भी फेलू'दा के प्रशंसक हैं. मुझे ऐसा लगता है कि इस सीरीज के मात्र 3-4 उपन्यासों का हिन्दी में अनुवाद हुआ है. इसलिए मैं गम्भीरतापूर्व इनके अनुवाद का काम हाथ में लेना चाहता हूँ. शायद पहले मुझे उनके सुपुत्र (श्री सन्दीप राय) तथा आनन्द बाजार (प्रकाशक) वालों से सम्पर्क करके अनुमति माँगनी चाहिए- क्यों?

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