हिन्दी में बिन्दी का प्रयोग इतना बढ़ गया है कि बेचारी ‘हिन्दी’ भी अब ‘हिंदी’ बन गयी है।
जहाँ अनुनासिक (नाक से) उच्चारण की आवश्यकता होती है, वहाँ बिन्दी का प्रयोग तो होता ही है, जैसे- संयम, कंस, हिंस्त्र इत्यादि। मगर लेखन और मुद्रण की कठिनाईयों को देखते हुए क, च, ट, त, प- वर्ग में भी बिन्दी के प्रयोग को- शॉर्टकट के रूप में- मान्यता प्रदान की गयी थी, जहाँ कि पंचमाक्षर (ङ, ञ, ण, न, म) अपने ही वर्ग के अक्षरों के साथ संयुक्त होते हैं।
अब तो स्थिति यह है कि आधिकारिक रुप से बिन्दी वाले शब्दों का ही प्रयोग करने के लिए कहा जाता है- शब्दों को उनके मूल रूप में लिखने का प्रचलन बहुत कम हो गया है। बहुतों को यह सही लगेगा, तो बहुतों को इससे दुःख भी है। (मैं दुःखी होने वालों में से हूँ।) ऐसा लगता है, शब्द अपना नैसर्गिक सौन्दर्य तथा लालित्य खो रहे हैं।
इस आलेख में मैं आपसे यह अपील नहीं करने जा रहा हूँ कि कृपया प्रत्येक शब्द को उनके मूल रूप में लिखें। (मैं खुद ‘पञ्चमाक्षर’ के स्थान पर ‘पंचमाक्षर’ लिख रहा हूँ।) बल्कि मेरा सिर्फ इतना अनुरोध है कि कृपया इतना हमेशा ध्यान में रखें कि आखिर किस पंचमाक्षर के बदले में आप बिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं, और कुछ शब्दों को उनके मूल रूप में ही लिखें। विशेषकर, ट, त और प वर्ग के मामले में। (कोई लाख सरकारी निर्देश दिखलाये, मगर इस प्रकार के लेखन को एक जुनून की तरह अपनाये रखें!)
आईये, जानते हैं कि किस प्रकार पंचमाक्षरों के बदले में बिन्दी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है:-
· क-वर्ग के पहले चार अक्षरों- क, ख, ग, घ- के साथ जब इसका पंचमाक्षर ङ संयुक्त होता है, तब ङ् (आधा ङ) के बदले में बिन्दीका प्रयोग होता है।
उदाहरण: अङ्क ¼vš½ = अंक, शङ्ख ¼'k™½ = शंख, गङ्गा ¼x›k½ = गंगा, सङ्घ = संघ।
· च-वर्ग के पहले चार अक्षरों- च, छ, ज, झ- के साथ जब इसका पंचमाक्षर ञ संयुक्त होता है, तब ञ् (आधा ञ) के बदले में बिन्दीका प्रयोग होता है।
उदाहरण: चञ्चल = चंचल, अञ्जन = अंजन। (ञ्+छ तथा ञ्+झ का कोई उदाहरण मुझे नहीं सूझ रहा।)
· ट-वर्ग के पहले चार अक्षरों- ट, ठ, ड, ढ- के साथ जब इसका पंचमाक्षर ण संयुक्त होता है, तब ण् (आधा ण) के बदले में बिन्दीका प्रयोग होता है।
उदाहरण: घण्टी = घंटी, कण्ठ = कंठ, ठण्ड = ठंड। (ण्+ढ का उदाहरण नहीं मिल रहा।)
· त-वर्ग के पहले चार अक्षरों- त, थ, द, ध- के साथ जब इसका पंचमाक्षर न संयुक्त होता है, तब न् (आधा न) के बदले में बिन्दीका प्रयोग होता है।
उदाहरण: दन्त = दंत, ग्रन्थ = ग्रंथ, हिन्दी = हिंदी, गन्ध = गंध।
· प-वर्ग के पहले चार अक्षरों- प, फ, ब, भ- के साथ जब इसका पंचमाक्षर म संयुक्त होता है, तब म् (आधा म) के बदले में बिन्दीका प्रयोग होता है।
उदाहरण: चम्पा = चंपा, गुम्फ = गुंफ, अम्बा = अंबा, आरम्भ = आरंभ।
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· उपर्युक्त नियम संस्कृतनिष्ठ शब्दों पर लागू होते हैं। अन्य शब्दों पर बिन्दी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा सकता है। (मैं तो जबर्दस्ती ‘इंटरनेट’ को ‘इण्टरनेट’ लिखता हूँ।)
· जहाँ पंचमाक्षर अपने वर्ग के चार अक्षरों के अलावे किसी और अक्षर के साथ संयुक्त हो रहा हो, वहाँ बिन्दी के प्रयोग की अनुमति नहीं है। जैसे- वाङ्मय, अन्य, उन्मुख इत्यादि।
· पंचम वर्ण जब दुबारा आये, तब भी बिन्दी का प्रयोग नहीं होता- अन्न, सम्मेलन, सम्मति इत्यादि।