जगप्रभा

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शनिवार, 22 अप्रैल 2017

173. चरक मेला- 3: एक अविश्वसनीय दृश्य!



       हमलोग बचपन से ही सुनते आये थे कि चरक मेला में जिस व्यक्ति को चरक से लटका कर घुमाया जाता है, उसकी पीठ पर बड़ी-सी बंशी (मछली पकड़ने का काँटा) गुथी हुई रहती है और उसी के सहारे वह लटकते हुए घूमता है, मगर हमने कभी इस पर विश्वास नहीं किया था
       एक जमाने बाद जब हमने अपने चौलिया गाँव में जाकर चरक मेला देखा, तो वहाँ पीठ पर बंशी घोंपने-जैसा कोई दृश्य नहीं था, बल्कि 'जोगी जी' का एक हाथ और एक पाँव रस्सी से बँधे थे, दूसरा पैर हवा में लटक रहा था और और दूसरे हाथ से वे प्रसाद लुटा रहे थे।
       इसे देखकर मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि पीठ पर बंशी घोंपकर चरक से लटकाने वाली बात या तो "अतिश्योक्ति" है, या फिर, यह बीते जमाने की बात है।
       ...मगर कल कुछ तस्वीरें देखकर मैं चकित रह गया!
परसों नुक्कड़ पर मैंने शर्मापुर (नामक गाँव) में होने वाले चरक मेले का जिक्र सुना था, पर कल छुट्टी न होने के कारण मेरा जाना नहीं हो पाया था। जयचाँद गया था वहाँ। उसी ने व्हाट्स-अप पर चार तस्वीरें और दो विडियो भेजे। हमने कहा- सोशल मीडिया पर नहीं डाला? उसने कहा- आप ही डालिये। दरअसल, बहुत-से लोग तस्वीरों के साथ कुछ लिखने से कतराते हैं- सोचते हैं, वे ठीक से नहीं लिख पायेंगे। यहाँ तक कि एक पंक्ति का "कैप्शन" तक बहुत लोग नहीं लिखते।
       खैर, हम तो इस मामले में बेशर्म हो चुके हैं- कोई भी विषय दीजिये, कुछ-न-कुछ तो लिख ही देंगे!
       तो जयचाँद दास द्वारा भेजी गयी चारों तस्वीरों को मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ और दोनों विडियो का लिंक भी दे रहा हूँ।
       इन्हें देखकर आप भी ताज्जुब करेंगे कि आज भी यह प्रथा कायम है, जिसमें किसी व्यक्ति की पीठ पर बंशी घोंपकर उसे चरक से लटका कर घुमाया जाता है...




विडियो के लिंक- पहला और दूसरा. (विडियो फेसबुक पर हैं.)     
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चरक मेला पर मेरे पहले दो आलेख यहाँ और यहाँ हैं।   

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