हमारा
सन्थाल-परगना "दामिन-ए-कोह" है: अर्थात् "पर्वतों का आँचल"।
इस पर्वत-शृँखला का नाम है- "राजमहल की पहाड़ियाँ"। ये पहाड़ियाँ
प्रागैतिहासिक काल की हैं- यहाँ डायनासोरों के जीवाश्म पाये जाते हैं! राजमहल इस
इलाके का एक ऐतिहासिक शहर है, जो मुगलकाल में दो बार बँगाल प्रान्त
(अँग-बँग-उत्कल) की राजधानी रह चुका है।
सन्थाल-परगना
के विभिन्न शहरों/कस्बों में यातायात के दौरान हमने इस पहाड़ियों की जो तस्वीरें
खींची है, उन्हें ही यहाँ (धारावाहिक रुप) प्रस्तुत करने का इरादा है। आशा है, इन
पहाड़ियों का सौन्दर्य आपको पसन्द आयेगा। मगर इन तस्वीरों को देखने के लिए आपको
मेरे एक अन्य ब्लॉग "मेरी छायाकारी" पर आने का कष्ट उठाना होगा- http://jaydeepphotography.blogspot.in/ ।
वैसे,
इन पाहाड़ियों की एक दुखती रग भी है, जिसे हमने fb page "Save the Hills of Rajmahal" पर
प्रस्तुत किया है-।
अन्त
में, मेरे बेटे अभिमन्यु ने अपने कॉलेज के लिए एक रपट तैयार की थी "Tribal Wall Art of Rajmahala Hills",
इसमें
उसने Wikipedia से जानकारियाँ
लेकर दो परिशिष्ट जोड़ी थी- इन पहाड़ियों के इतिहास एवं भूगोल पर। आप चाहें, तो उस
रिपोर्ट को डाउलोड कर सकते हैं- http://jagprabha.in/product/tribal-wall-art-of-rajmahal-hills/
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