ऐसे तो घर के आस-पास चील, कौआ, मैना, गौरैया, कबूतर, फाख्ता से लेकर शकरखोरा (फूलचुही), दहियर, बुलबुल, नाचन (चकदिल), सतभैयों और जलमुर्गियों तक का बसेरा है, मगर बुलबुल और नाचन के जोड़े ने पिछले कुछ समय से हमारा ध्यान आकर्षित कर रखा है। इन दोनों का बसेरा घर के नैऋत्य कोण वाले झुरमुट (दो-तीन बड़े पेड़ भी हैं) में है।
बुलबुल और नाचन दोनों दरवाजे के ग्रिल पर आकर शोर मचाती हैं और हमारी बिल्ली 'भूरी' गुस्से में गुर्राते हुए उन्हें लपकने की व्यर्थ कोशिश करती है। शुरू-शुरू में हमने सोचा कि उन लोगों ने घोंसले में अण्डे दे रखे होंगे, इसलिए सतर्कता के तहत बिल्ली को देखकर वे शोर मचाती हैं। बाद में पाया कि उनके बच्चे बड़े भी हो गये, उड़ भी गये, मगर चिड़ियों ने अपनी आदत नहीं छोड़ी।
कुछ दिन ध्यान देने पर पता चल रहा है कि वे असल में बिल्ली को छेड़ रही हैं। बिल्ली कहीं किसी कोने में चुपचाप सोयी रहती है और बुलबुल और नाचन- खास तौर पर बुलबुल का जोड़ा- ग्रिलवाले दरवाजे पर बैठकर शोर मचाने लगती हैं। मानो, बिल्ली को बुला रही हों- आओ, कुछ देर खेल हो जाय!
'भूरी' को उठकर आना पड़ता है और सिर उठाकर बहुत-बहुत देर तक दरवाजे के पास बैठे रहना पड़ता है। बेशक, बीच-बीच में वह लपकती भी है, पर स्वाभाविक रूप से यह प्रयास व्यर्थ जाता है। श्रीमतीजी को 'भूरी' पर दया आती है कि बेचारी का गर्दन दुख जाता होगा और दूसरे दरवाजे को भी बन्द कर दिया जाता है (ग्रिल वाले दरवाजे के साथ एक दूसरा दरवाजा भी है)।
...तब देखा जाता है कि चिड़ियाँ खिड़की के ग्रिल पर आकर शोर मचाने लगती हैं। बेचारी 'भूरी' को अब खिड़की के पास आना पड़ता है।
यह खेल अक्सर चलता है- दिन भर में कई बार।
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लेख को और थोड़ा विस्तार दिया जाता तो रोचकता व उत्सुकता और बढ़ जाती
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रोचक प्रस्तुति
जी, थोड़ा-सा और विस्तार देने से अच्छा रहता।
हटाएंधन्यवाद।
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंपंछियों और पशुओं का आपसी भाईचारा, रोचक पोस्ट !
जवाब देंहटाएंआभार।
हटाएंरोचक ।
जवाब देंहटाएंआभार।
हटाएंजी, बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसही कहा वे बिल्ली को चिढाती हैं ।जानती है ग्रिल के पार से हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकती।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं रोचक।
बहुत ही रोचक और खूबसूरत
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