विभिन्न कारणों से साल 2020 ज्यादातर लोगों के लिए दुःखदायी रहा। मेरे लिए यह इसलिए मनहूस रहा कि जाते-जाते यह मेरी प्यारी चचेरी बहन को हमसे छीन ले गया!
अब मुनमुन के ठहाके बस यादों में सुनायी पड़ेंगे। दरअसल, बात करते समय बीच-बीच में "हाः-हाः-हाः-हाः-" के जोरदार ठहाके लगाना उसकी आदत में शामिल था- तकिया-कलाम की तरह।
वह मुझसे तीन साल छोटी थी। दादाजी मुझे "मोनू" और उसे "मोनी" कहा करते थे। वह मुझे बहुत पसन्द करती थी और हम भी उसके प्रति बहुत लगाव महसूस करते थे।
जब हम छोटे हुआ करते थे, तो 9 जुलाई हमारे घर में एक उत्सव के समान होता था। चाचा-चाचीजी उसका जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाया करते थे।
अब 9 जुलाई के साथ-साथ हर साल 25 दिसम्बर को भी उसकी बहुत याद आया करेगी। इसी दिन वह हम सबसे विदा हुई- सदा के लिए।
अगले 25 जनवरी को हम अपनी वैवाहिक रजत-जयन्ती मनाने जा रहे हैं। इसके लिए कितनी तैयारियाँ कर रखी थी उसने। बेटे को जैकेट दिलवा दिलवा दिया था, रिजर्वेशन करवा लिया था, पति को भी साथ चलने के राजी कर लिया था, जाने कितने परिचितों से कह रखा था...
फोन पर अंशु से कह रखा था उसने- भाभीजी, मुझे दोसा बहुत पसन्द है, मेरे लिए प्लेन-दोसा जरूर बनवाईयेगा।
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सच मे ये पिछला साल बहुत दुखदाई था। भगवान इनकी आत्मा को शांति दे🌻 बाकी जो अपने चले जाते है उनकी याद में ही जीना पड़ता है..।
जवाब देंहटाएंनमन व श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंस्व. मुनमुन को नमन।