जगप्रभा

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गुरुवार, 24 अगस्त 2017

182. 24 अगस्त



       आज ही के दिन 30 साल पहले अंशु के चेहरे पर तेजाब डाला गया था। वह साल था 1987। तब वह ग्यारहवीं की छात्रा थी। घटना मेरठ के पास गढ़मुक्तेश्वर में घटी थी।
       तेजाब हमले के बाद अंशु के शरीर पर छोटे-बड़े कुल-मिलाकर 18 ऑपरेशन हुए थे- मेरठ, अलीगढ़, दिल्ली में। कह सकते हैं कि सारा परिवार सड़कों पर आ गया था- ईलाज के दौरान। कुछ रिश्तेदारों ने तो यहाँ तक कहा था कि लड़की है, मर जाने दिया जाय; बच भी गयी, तो शादी कौन करेगा इससे? मगर अंशु के पिताजी ने अंशु को बचाने के लिए और बाद में उसके जीवन को सँवारने के लिए क्या कुछ नहीं किया!
       यह वह समय था, जब तेजाब हमले की घटनायें ज्यादा सुनने में नहीं आती थीं। इसलिए उस समय यह घटना काफी चर्चित हुई थी। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं ने इस अपराध की घटना को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। तब बहुत-से लोग अस्पताल में अंशु से मिलने आते थे, जिनमें से दलाई लामा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। एक अमेरिकी लेखक Thomas Easley तो अमेरिका ले जाकर अंशु का ईलाज करवाना चाहते थे, मगर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाया। वैसे, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अंशु के नाम से बाकायदे फाईल बनवा रखी थी और उन्हीं के प्रयासों से दिल्ली के 'एम्स' में अंशु के कुछ ऑपरेशन हुए। लैला कबीर ने 'अग्नि फाउण्डेशन' की स्थापना की थी अंशु की मदद के लिए और मेरठ की 'सुभारती' संस्था ने अंशु को नौकरी दी थी।
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       एक जमाने बाद 'प्रभात खबर' की सम्पादिका दक्षा वैद्यकर जी ने अंशु से फोन पर बातचीत करके अंशु की कहानी को अखबार में प्रकाशित किया था। इसके पहले 1996 में भी अंशु की कहानी फिर से अखबारों में छपी थी, जब उसका विवाह हुआ था।
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       अंशु पर 1987 से लेकर दक्षा वैद्यकर जी के आलेख (2013) तक- अँग्रेजी-हिन्दी में जितनी भी रचनायें प्रकाशित हुई हैं, उन सबको एक पुस्तक के रुप में प्रस्तुत करने की इच्छा थी, अफसोस कि दिशा में एक कदम भी मैं आगे नहीं बढ़ सका हूँ। दरअसल, सारी सामग्री को मुझे ही टाईप करनी है और यह बड़ा ही कष्टसाध्य काम है। हाँ, पुस्तक के लिए एक 'आवरण' के बारे में मैंने भले सोच लिया था कि यह कैसा होगा।
        फिलहाल उन प्रकाशित सामग्रियों की तस्वीरें अंशु के ब्लॉग पर ही मौजूद हैं। ब्लॉग का नाम है- 'मेरी कहानी'
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       मनेर की तेजाब पीड़िता बहनों (चंचल और सोनम) के बारे में 'देश-दुनिया' पर एक आलेख ('तेजाब' शीर्षक से) लिखते समय मैंने अंशु का जिक्र किया था। दुःख की बात है कि अभी कुछ ही अरसा पहले चंचल का देहान्त हो गया।
       इसके अलावे, इसी ब्लॉग पर एक और आलेख है अंशु पर 'सोलहवाँ बसन्त' नाम से।
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