शनिवार, 19 अगस्त 2017

181. छायाकारी




"लैण्डस्केप" फोटोग्राफी के सम्बन्ध में हमने कहीं पढ़ा था कि इसके फ्रेम में एक तिहाई जमीन और दो-तिहाई आकाश होना चाहिए। विस्तृत मैदान या सागर के मामले में यह सही भी लगता है। जब पहाड़ियाँ काफी दूर हों- क्षितिज पर, तब भी यह नियम सही लगता है। मगर जब पहाड़ या पहाड़ियाँ बहुत दूर न हों, तब भी क्या यही नियम अपनाया जाना चाहिए?
मेरे ख्याल से, नहीं। तब आकाश के हिस्से में से एक-तिहाई हिस्सा काटकर पहाड़ या पहाड़ी को दे देना चाहिए। यानि जब पहाड़/पहाड़ी बहुत दूर न हो, तब लैण्डस्केप में एक तिहाई जमीन, एक तिहाई पहाड़/पहाड़ी और एक तिहाई आकाश होना चाहिए। बेशक, ऐसा मेरा मानना है, छायाकारी के सिद्धान्तों के हिसाब से यह गलत भी हो सकता है।
ऊपर मैं जिस लैण्डस्केप तस्वीर को प्रस्तुत कर रहा हूँ, उसमें मैंने इसी हिसाब से खींचा (और बेशक, 'क्रॉप' किया) है कि एक तिहाई जमीन, एक तिहाई पहाड़ और एक तिहाई आकाश रहे।
दूसरी बात, मुझे ऐसा लगता है कि लैण्डस्केप में आकार 12:6 ही रहे, तो अच्छा। अपने फेसबुक अल्बम 'Beauty of Rajmahal Hills' में सारी तस्वीरों को मैं 12:6 के अनुपात में ही क्रॉप कर रहा हूँ। यह भी फोटोग्राफी के नियमों के अनुसार गलत हो सकता है। हो सकता है, नियमानुसार अनुपात 12:8 बताया गया हो।
सामान्य नियम के अनुसार, सूर्योदय के लगभग 2 घण्टे बाद और सूर्यास्त के लगभग 2 घण्टे पहले तस्वीरों में प्रकाश सही ढंग से पड़ता है। ऊपर की तस्वीर सूर्योदय के लगभग 2 घण्टे बाद की ही है।
एक और बात, जो मैंने अनुभव से पाया है कि वर्षा होने के बाद तस्वीरें ज्याद स्पष्ट आती हैं, क्योंकि तब वायु में धूलकण की मात्रा बहुत कम होती है। ऊपर वाली तस्वीर ऐसे ही समय की है। तस्वीर में भले पता न चले, पर आँखों से उस वक्त पहाड़ी के सीने पर इन्सानी पंजों से बने खदानों का आभास स्पष्ट हो रहा था, जब मैं इस तस्वीर को खींच रहा था।
"पोर्ट्रेट" फोटोग्राफी मैंने कभी पसन्द नहीं की। फिर भी, एक नमूना मैं नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ। हाँ, इसका आकार मैंने 12:8 ही रखा है।    

पुनश्च: अभी कुछ देर पहले ही पता चला कि आज 'विश्व छायाकारी दिवस' है और संयोग देखिये कि तीन-चार दिनों पहले मैंने इस पोस्ट की कुछ पंक्तियाँ लिख डाली थी और आज इसे मैं ऐसे भी पोस्ट करने ही वाला था!

4 टिप्‍पणियां:

  1. कल वाइरल हुए उस रोती हुई बच्ची के वीडियो पर सलिल वर्मा जी की बेबाक राय ... उन्हीं के अंदाज़ में ... आज की ब्लॉग बुलेटिन में |

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गुरुदेव ऊप्स गुरुदानव - ब्लॉग बुलेटिन विशेष “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. फ़ोटोग्राफ़ी भी एक कला है और उसका अपना विधि-विधान भी.

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