जगप्रभा

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रविवार, 14 फ़रवरी 2016

156. जो छूट गया था...

बीते दिसम्बर-जनवरी में दो पिकनिक स्पॉट में जाना हुआ था, जिनका जिक्र फेसबुक पर तो हो गया था, मगर सोचा कि ब्लॉग पर भी उनका जिक्र रहना चाहिए, सो अभी कुछ पोस्ट कर रहा हूँ.
मसानजोर
दुमका से कोई 40 किलोमीटर दूर यह बाँध है- सिउड़ी जाने वाले मार्ग पर. बहुत ही खूबसूरत जगह है. 
मैं यहाँ कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रहा हूँ-

भतीजी 'छोटी' उर्फ सन्तोषिनी 


मैं 

श्रीमतीजी 


अभिमन्यु कजिन टारजू (शन्तनु) के साथ 

पतौड़ा झील 
हमारे बरहरवा से कोई 15 किमी दूर एक कस्बा है- उधवा (मोकामा-फरक्का NH-80 पर). 
बरहरवा से राजमहल जाते वक्त यह कस्बा करीब बीच में पड़ता है. 
कस्बे से कुछ पहले ही मुख्य सड़क से जरा हटकर एक झील है, जिसे "पतौड़ा" झील कहते हैं. 
शीत ऋतु में यहाँ प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. सो, इसे पक्षी-अभयारण्य का रुप दे दिया है. 
यह और बात है इस इलाके में न कोई पर्यावरणप्रेमी बसता है, न ही पक्षीप्रेमी. न किसी के पास टेली-लेन्स वाला कैमरा है, न दूरबीन. 
ऊपर से, स्थानीय निवासियों के लिए झील में मत्स्याखेट और किनारों पर खेती ज्यादा मायने रखता है. 
जो "पिकनिक" मनाने आते हैं, वे आस-पास की वादियों में गन्दगी फैलाकर चले जाते हैं- हमने भी यही किया. मन तो कर रहा था कि अकेले ही सफाई में जुट जाऊँ, पर लगा यह कुछ अटपटा लगेगा... सो मन मारकर रह गया. 
खैर, कुछ तस्वीरें प्रस्तुत कर रहा हूँ- शायद आपको अच्छी लगे. हालाँकि हल्के कोहरे के कारण क्षितिज की पहाड़ियाँ स्पष्ट नहीं नजर आ रहीं...








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