जगप्रभा

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सोमवार, 7 दिसंबर 2015

151. एक कॉल "नम्बर" से-

कल (रविवार) की घटना
"ट्रिन-ट्रिन- "
मैं घर में नहीं था। 'नम्बर से' एक कॉल आती है।
"हैलो- "श्रीमतीजी फोन उठाती है।
"जयदीप जी घर में हैं?" उधर से अपरिचित महिला की आवाज आती है
"नहीं, बाहर निकले हुए हैं। आप कौन?"
"यह जयदीप जी का ही फोन है न? नम्बर डायवर्ट होकर मिला है।"
       "हाँ, उन्हीं का है। क्य़ों?"
"जयदीप जी से बात करनी है। कब तक आयेंगे?"
"आप कहाँ से बोल रही हैं?"
"जी, मुझे उन्हीं से कुछ बात करनी है।"
कहने की जरुरत नहीं कि अब तक श्रीमतीजी का पारा चढ़ चुका था। दुनिया की- खासकर, भारत की किसी भी श्रीमतीजी की यही दशा होगी।
मजे कि बात यह है कि अभी दो-एक रोज पहले ही हमदोनों "भाभीजी घर पर हैं" का एक प्रकरण देखकर ठहाके लगा रहे थे, जिसमें अंगूरी भाभी को यह शक हो जाता है उनके "लड्डू के भैया" का चक्कर किसी परायी महिला से चल रहा है, जिसका 'कोडनेम' "साक्षी" है (जबकि यह सक्सेना जी का नम्बर था); या फिर उनका चक्कर उस महिला से चल रहा है, जिनसे तिवारी जी की सगाई होने वाली थी (जबकि उसने तिवारी जी औपचारिक बातचीत की थी फोन पर)। उधर अनीता भाभी को अपने "विभू" पर सन्देह हो रहा था कि उसका चक्कर "शीला" से चल रहा है, जो कॉलेज में विभू के साथ ही थी (जबकि यह एक सामान्य मित्रता थी)।
धारावाहिक में इस तरह के प्रकरण को देखने के दो-एक दिनों के अन्दर ही मोबाइल पर इस तरह का फोन आ जाय, तो समझ सकते हैं कि एक बड़ी दुर्घटना घटने ही वाली थी।
"देखिये, मैं उनकी वाईफ बोल रही हूँ। क्या बात करनी है आपको उनसे?" श्रीमतीजी ने कड़ाई से कहा होगा।
"मैं "डिश टीवी" से बोल रही हूँ। आपका पैक...... " और उधर से सेल्सगर्ल वाली बातें शुरु हो जाती हैं।
***
इस प्रकरण से इतना तो समझ में आता है कि उस डिश टीवी वाली लडकी से दो गलतियाँ हुईं- एक, 'हैलो' सुनने के बाद ही उसे अपना परिचय दे देना चाहिए था; और दो, घरों में टीवी पर कौन-से चैनल चलने हैं और कौन-से नहीं, यह फैसला श्रीमतियों के हाथ में होता है, फिर वह बेचारी "श्री" से ही बात करने पर क्यों तुली थी? ("श्री"जी आमतौर पर थोड़ी देर के लिए समाचार चैनल ही देखते हैं। बहुत हुआ, तो बच्चों के साथ-साथ कार्टून चैनल या डिस्कवरी-जैसे चैनल देख लेते हैं। मेरा तो यह भी बन्द है अभी- क्योंकि बेटा पढ़ाई के लिए बाहर है।)
लगे हाथों एक और शिष्टाचार की बात कर दूँ- जब कभी अनजान जगह पर फोन किया जाय, तो उधर से "हैलो- " का जवाब आने के बाद अपना परिचय तो देना ही चाहिए और इसके बाद जो बात कहनी चाहिए वह यह है कि- 'क्या मैं आपका दो-चार मिनट समय ले सकता/सकती हूँ?' इस प्रश्न को शालीनता के साथ कई तरह से पूछा जा सकता है।

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