हमारी रजत-जयन्ती 25 जनवरी को थी और श्रीमतीजी की छोटी बहन (जाहिर है- मेरी साली साहिबा) की रजत-जयन्ती थी बीते 9 मार्च को।
हम श्रीमतीजी के साथ 24 घण्टों की रेलयात्रा करके गाजियाबाद उतरे, फिर वहाँ से ग्रेटर नोयडा गये और फिर वहाँ से साले साहब और सासु माँ के साथ मुरादाबाद के पास एक छोटे-से गाँव में पहुँचे- कहने की जरूरत नहीं, हमें इस गाँव का माहौल बहुत पसन्द है।
(भले इन लोगों ने काशीपुर में भी अपना घर बनवा लिया है- शहरी ढंग का, पर हमें यह गाँव वाला घर ही पसन्द है। अच्छा रहा कि यह कार्यक्रम यहीं आयोजित किया गया।)
जिसने भी यह प्रथा बनायी है- विवाह की 25वीं, 50वीं और 60वीं सालगिरह को खास ढंग से मनाने और अपने युवा बच्चों के सामने "विवाह का नवीणीकरण करने" की, उसकी हम प्रशंसा करते हैं।
ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं, कुछ तस्वीरें और विडियो प्रस्तुत हैं- इनमें लोगों के चेहरे की मुस्कुराहट और हँसी ही इस मौके के नैसर्गिक आनन्द को व्यक्त करने के लिए काफी है।
अन्त में, एक तस्वीर, जो हम्हीं ने खींची और हम्हीं को पसन्द आयी-
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