इस साल सारा आषाढ़ सूखा बीत गया; जबकि पिछ्ले साल आषाढ़ में बरहरवा
के इलाके में जम कर बारिश हुई थी- बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात का असर था। संयोग से, मैं भी उसी वक्त बरहरवा पहुँचा था।
इस साल सावन के साथ बरसात की शुरुआत तो हुई,
मगर मुझे बारिश में नहाने का मौका नहीं मिल रहा था। सुबह जो बारिश होती थी, वह
इतनी धीमी होती थी कि नहाते नहीं बनता; दोपहर में कई दिन जमकर बारिश हुई, मगर तब
मैं दफ्तर में होता। पिछले रविवार को तो मैंने सुबह से शाम तक बारिश का इन्तजार किया
था- बदली छाई रही, मगर बारिश नहीं हुई। शाम हुई भी तो एक-दो मिनट के लिए।
खैर, रात भर की बूँदा-बांदी के बाद आज सुबह
आठ बजे से अच्छी बारिश शुरु हुई। मैं भी आधा घण्टा नहाया।
अब देखा जाय, अगला मौका कब मिलता है...
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