बुधवार, 25 मार्च 2015

134. eBooks की मेरी वेबसाइट- जगप्रभा डॉट इन


       पिछले साल जब अभिमन्यु अपनी वेबसाइट के लिए डोमेन खरीद रहा था, तब मैंने उससे "जगप्रभा" नाम से भी डोमेन खरीद लेने के लिए कहा था। उसने खरीद भी लिया था, मगर मैंने वेबसाइट नहीं बनायी; जबकि उसने अपनी वेबसाइट बना ली थी। 
       इस साल जब डोमेन के नवीणीकरण का अवसर आया, तब मैंने कहा कि जगप्रभा की भी वेबसाइट बना दो। कई घण्टों की मशक्कत के बाद परसों उसने वेबसाइट बना दी। कैसी बनी है, यह तो आप ही बेहतर बता सकते हैं। URL है: http://jagprabha.in/ । मैं आप सबका अपनी इस वेबसाइट पर स्वागत करता हूँ।
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       पिछले कुछ समय से इस सोच-विचार में था कि ई-बुक्स के मूल्य-निर्धारण का पैमाना क्या होना चाहिए? –क्योंकि मेरी ई-बुक्स की कीमत मुझे ज्यादा लग रही थी। मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि ई-बुक्स की कीमत इतनी कम होनी चाहिए कि किसी को भी मँगवाते वक्त न अखरे और जो सूत्र मैंने तय किया मूल्य-निर्धारण का, वह इस प्रकार है कि 50 पृष्ठ तक की ई-बुक की कीमत 10 रुपये तथा 51 से 100 पृष्ठ तक की ई-बुक की कीमत 20 रुपये रखी जाय। ई-बुक तैयार करने में जो मेहनत ('परफेक्शन' कहना अतिश्योक्ति होगी) मैं करता हूँ, उसे मैंने मूल्य-निर्धारण के मामले में नजरअन्दाज कर दिया है।
       jagprabha.in पर इन्हीं नये कम मूल्यों के साथ अब तक तैयार 5 eBooks को मैंने अपलोड किया है। "बिन्दुधाम बरहरवा तथा पहाड़ी बाबा" ई-बुक को मैंने निश्शुल्क रखा है। आप सब से अनुरोध है कि इसे एकबार मँगवा कर कृपया मेरी वेबसाइट की जाँच करने का कष्ट करें कि यह ठीक-ठाक काम करता भी है या नहीं।
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       मेरा मुख्य उद्देश्य है- "बनफूल' की 586 कहानियों तथा सत्यजीत राय रचित जासूस फेलू'दा के 35 कारनामों को हिन्दी में प्रस्तुत करना। इसके अलावे, अपनी स्वरचित रचनाओं को भी मैं ई-बुक के रुप में प्रस्तुत करना चाहूँगा। और हाँ, अगर मेरा कोई संगी-साथी अपनी किसी रचना को यहाँ ई-बुक के रुप में प्रस्तुत करना चाहे, तो इस पर भी विचार करूँगा
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       अपने यहाँ ई-बुक्स का भविष्य है या नहीं, पता नहीं। बस एक उम्मीद है कि आने वाले समय में ज्यादा-से-ज्यादा लोग नेट-बैंकिंग से जुड़ेंगे और उसी अनुपात में eBooks की लोकप्रियता भी बढ़ेगी
       आगे देखा जाय...

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