गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

97. नवान्न


       पंजाब में गेहूँ की फसल कटने के बाद "बैशाखी" (बैशाख महीने में) मनाया जाता है- यह तो सब जानते हैं; मगर बंगाल में धान की फसल कटने के बाद "नवान्न" मनाया जाता है (अग्रहायण- मार्गशीर्ष- अगहन महीने में)- यह बहुतों को नहीं पता होगा
हमारा परिवार बँगलाभाषी है- भले अगली पीढ़ी हिन्दीभाषी बन चुकी है- इसलिए आज भी हमारे यहाँ नवान्न मनाया जाता है
थोड़े-से नये धान को ओखली में कूटकर चावल बनाया जा चुका है- इसका प्रसाद बनेगा- इसमें केला, गुड़ इत्यादि मिलाकर
एक दूसरा प्रसाद भी बनेगा- नये चावल के आटे का पहले यह आटा भी हमलोग खुद बनाते थे- ओखली में कूटकर- इसमें समय लगता था सुबह 8-9 बजे से ही प्रक्रिया शुरु हो जाती थी अब मिल से नये चावल का आटा बनवा लिया जाता है ओखली भी पुरानी हो गयी है उस आटे में दूध, केला, गुड़, किशमिश, नारियल गिरी इत्यादि मिलाकर प्रसाद बनाया जा रहा है बबलू (छोटा भाई) इस काम में लगा है माँ बैठी है पास में
अब नये चावल का चूड़ा खाया जायेगा दही और गुड़ के साथ- बेशक, केले के पत्ते पर
हालाँकि अब गुड़ में पहले वाला स्वाद नहीं है
रात नये चावल का भात बनेगा और बनेगी 7 तरह की सब्जियाँ! कभी 14 सब्जियाँ भी बना करती थीं- जब पहाड़ (बिन्दुवासिनी पहाड़) के "झाजी काकू" आया करते थे वे गिन-गिन कर सब्जियाँ खाते थे
मिट्टी की छोटी-सी कोठी में थोड़ा-सा नया चावल रखा जायेगा, जो अब अगले नवान्न में ही निकलेगा और भी कुछ रिवाज होंगे, तो मैं ठीक से नहीं जानता हमें तो बस दही-चूड़ा खाने से मतलब है
यह और बात है कि अब हमारे बच्चे दही-चूड़ा खाने में रुची नहीं दिखाते...







3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बंगाल की इस प्रथा को अधिक विस्तार से जाना। छोटे बरतनों में अलग अलग कई प्रकार की सब्जियां बनाते भी देखा है।
    चावल के आटे की मिठाई नई है , देखेंगे कभी बना कर।
    अच्छी पोस्ट !

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    1. वाणी जी,
      इसी ब्लॉग में एक पुरानी पोस्ट है: "ढक्कन वाली रोटी की याद". उसमें चावल के आटे से बनने वाले कुछ और पकवानों का जिक्र है:
      http://jaydeepshekhar.blogspot.in/2011/11/blog-post.html

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